आईं देखीं रउवा हमार पटना
काव्य साहित्य | कविता आशीष कुमार1 May 2023 (अंक: 228, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
(भोजपुरी रचना)
आईं भोजपुरिया बहार देखीं
चलीं गंगा माई केे धार देखीं
मन होखे रउवा घूमीं ओतना
आईं देखीं रउवा हमार पटना
पाटलिपुत्र पहिला नाम पड़ल
मगध राज के फिर झंडा गड़ल
उदयिन दिहले एकरा नाम पटना
आईं देखीं रउवा हमार पटना
हनुमान जी के दर्शन कर लीं
हरमंदिर साहिब में मत्था टेकीं
पटन देवी के बाटे मान केतना
आईं देखीं रउवा हमार पटना
चलीं गोलघर आलिशान देखीं
संजय गाँधी जैविक उद्यान देखीं
देखीं गाँधी मैदान विशाल केतना
आईं देखीं रउवा हमार पटना
जिउतिया माई के उपवास देखीं
राखी खातिर इहवाँ उल्लास देखीं
सभे रंग दिखी रउवा खोजब जेतना
आईं देखीं रउवा हमार पटना
छठी माई के इहवाँ भक्ति देखीं
गुरु गोविंद सिंह के जयंती देखीं
होली दीवाली ईद त्यौहार केतना
आईं देखीं रउवा हमार पटना
लिट्टी चोखा तनी खा के देखीं
मगही पान तनी चबा के देखीं
ठेकुआ खाजा में बा मिठास केतना
आईं देखीं रउवा हमार पटना
मालपुआ जलेबी के प्यार देखीं
दही पापड़ खिचड़ी अचार चखीं
तिलकुट खुरमा लकठो के यार केतना
आईं देखीं रउवा हमार पटना
खाँटी माटी के पहिचान देखीं
बिहार के राजधानी ह शान देखीं
पूरा करलीं सभे आपन सपना
आईं देखीं रउवा हमार पटना
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