मैं सुहागन तेरे कारण
काव्य साहित्य | कविता आशीष कुमार15 Oct 2022 (अंक: 215, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
मैं सुहागन तेरे कारण
तेरे कारण ओ सजना
जो तू नहीं तो फिर
क्या ये बिंदी क्या कंगना
मैं सुहागन तेरे कारण
तेरे कारण ओ सजना
जब से तेरा साथ मिला
हाथों में है हाथ मिला
माँग मेरी सिंदूरी हुई
है तेरे रंग मुझे रंगना
मैं सुहागन तेरे कारण
तेरे कारण ओ सजना
मुझको तेरा नाम मिला
प्यार मुझे ईनाम मिला
प्रेम की नदिया बनकर मुझको
तेरे दिल में है बहना
मैं सुहागन तेरे कारण
तेरे कारण ओ सजना
ये सोलह शृंगार तुझी से
ये दिल भी बेक़रार तुझी से
तुझ संग ही जीवन अमृत है
वरना फिर मुझको मरना
मैं सुहागन तेरे कारण
तेरे कारण ओ सजना
तुलसी मैं तेरे अँगना की
प्रीति मैं अपने सजना की
आशीष में तू मुझको है मिला
करती मैं रहूँगी तेरी वंदना
मैं सुहागन तेरे कारण
तेरे कारण ओ सजना
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