आज का सच
काव्य साहित्य | कविता अपूर्व कुशवाहा15 Dec 2022 (अंक: 219, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
आजकल हम सब लड़ रहे हैं अपनी अपनी सेहत से लड़ाई,
किसी को तो है बी पी और किसी को मना है खाना मिठाई॥
ख़राब सेहत ग़लत खानपान और दिनचर्या का परिणाम है,
पैसा कमाने की होड़ में खाना पीना और सोना भी हराम है॥
सब जानते हैं कि ख़ाली हाथ इस जहाँ में आना और जाना है,
फिर भी अपनी सेहत खो कर पैसों का ढेर घर में लगाना है॥
हम शरीर में रहते हैं मकान में नहीं ये लोग क्यूँ नहीं जानते,
मकान की मरम्मत करते हैं पर अपना शरीर नहीं सम्भालते॥
काया नश्वर है ये सच है पर जब तक है तब तक तो सम्भालो,
अच्छा खाना अच्छी दिनचर्या और टहलने की आदत डालो॥
जब तक जियो स्वावलम्बी रहो किसी पर भी भार ना बनो तुम,
जाने के बाद कोई भी याद ना करे ऐसे भी बेकार ना बनो तुम॥
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