आस में राम, विश्वास में राम
काव्य साहित्य | कविता डॉ. शोभा श्रीवास्तव15 Apr 2022 (अंक: 203, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
राम हमारे इष्ट हैं, राम ही भक्ति हैं।
विचलित होते मन की राम ही शक्ति हैं।
विश्व-धरा पर धर्म की वह अभिव्यक्ति हैं।
राम ही प्रेम की परिभाषा, अनुरक्ति हैं।
रिश्तों का माधुर्य राम हैं, गरिमा हैं।
राम ही लघुतम में हैं, राम ही महिमा हैं।
राम गीत हैं, राम ही जीवन काव्य हैं।
राम आस-विश्वास हैं, हर संभाव्य हैं।
संकल्पों का नाम ही राम रमैया है।
जीवन-नौका का बस वही खेवैया है।
शिव-धनु भंजन कर्ता, सिया के प्रियतम हैं।
दृष्टि हैं, दृष्टा हैं, दृश्य अनुपम हैं।
राम अधर्म, अनीति का प्रतिकार हैं।
सत्य, न्याय और धर्म का वे आधार हैं।
अंतर्मन में झाँकी राम की देखो तो।
मधुर-मधुर लीला सुखधाम की देखो तो।
जीवन का तुम्हें मूल लक्ष्य मिल जाएगा।
हर मानव फिर झूम-झूम कर गाएगा।
राम चेतना, राम हमारे प्राण हैं।
राम दवा हैं, राम दुआ हैं, त्राण हैं।
मानव के जीवन का बस यह सूत्र हो।
राम सा भाई, जीवनधन और पुत्र हो।
शिष्य, मित्र, स्वामी की परिसीमा हैं राम।
आदर्शों का समानार्थी बस राम का नाम।
परम पराक्रम देख के सुर हर्षाते हैं।
राम का शत्रु दल भी गौरव गाते हैं।
राम नहीं हैं प्रतिमा में, तस्वीर में।
राम हैं करुणा में, जन-जन की पीर में।
जो मानव हित अपना धर्म निभाते हैं।
सच मानो वे राम प्रिय बन जाते हैं।
कबीरा के अनहद में उद्धारक हैं राम।
रामचरितमानस के जननायक हैं राम।
रामराज्य की गरिमा के प्रतिमान हैं।
राम हमारे भारत की पहचान हैं।
राम हमारे भारत की पहचान हैं।
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