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ख़ुशी के रंग मल देना सुनो इस बार होली में

 

सजन आके न चल देना सुनो इस बार होली में। 
ख़ुशी के रंग मल देना सुनो इस बार होली में॥
 
सभी सखियाँ हृदय की बात जब मुझको बताती हैं, 
ठिठोली और अठखेली के क़िस्से जब सुनाती हैं। 
तुम्हारा रूठ जाना फिर मनाना याद आता है, 
विरह का गान मेरी वेदना को छेड़ जाता है। 
फिर से मन को न छल देना सुनो इस बार होली में। 
ख़ुशी के रंग मल देना सुनो इस बार होली में॥
 
गुलाबी साँझ अब इठला रही है देखकर तुमको, 
वहाँ अमराई भी बल खा रही है देखकर तुमको। 
सुहाना सा ये मौसम रंग की बौछार करता है, 
वो क्या जाने कि केवल नेह से फागुन सँवरता है। 
पिया चाहत के पल देना सुनो इस बार होली में, 
ख़ुशी के रंग मल देना सुनो इस बार होली में॥
 
सजन आके न चल देना सुनो इस बार होली में। 
ख़ुशी के रंग मल देना सुनो इस बार होली में॥

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