तक़दीर का फ़साना लिख देंगे आसमां पर
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत डॉ. शोभा श्रीवास्तव15 Sep 2022 (अंक: 213, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
तक़दीर का फ़साना लिख देंगे आसमां पर।
सज्दा करेगी दुनिया, मेरी इस दास्तां पर॥
हाथों की लकीरों में क़िस्मत का रंग बिखरा,
पर बाज़ुओं के दम पर गुलज़ार हुआ सहरा।
मौसम कहाँ कभी भी यकसां यहाँ है ठहरा॥
कभी दौर हैं ख़िज़ाँ के, कभी हक़ है गुलिस्तां पर।
साए में धूप के भी, गिरता है जैसे पानी।
उम्मीद के दीये ने, नूर-ए नज़र है ठानी॥
चलती है दम ब दम बस ऐसे ही ज़िंदगानी।
भटके हुए परिंदे आएँगे ही आशियां पर।
हालात के यूँ चौसर तक़दीर ने बिछाए,
हर आदमी है मोहरा, क़िस्मत के साए साए।
दिखते हैं रंग सबके, अपने हों या पराए॥
उड़ती है धूल अक़्सर उम्मीद-ए कारवां पर।
काग़ज़ पे ज़िंदगी के, लिख दी है शादमानी,
हमने बदल के रख दी तक़दीर की कहानी।
ग़र हौसला है ज़िन्दा, तो आएगी रुत सुहानी॥
आकाश हो मुट्ठी में, नज़रें हो कहक़शां पर।
तक़दीर का फ़साना लिख देंगे आसमां पर।
सज्दा करेगी दुनिया मेरी इस दास्तां पर॥
डॉ. शोभा श्रीवास्तव
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