नहीं हमको भाती अदावत की दुनिया
शायरी | ग़ज़ल डॉ. शोभा श्रीवास्तव1 Nov 2024 (अंक: 264, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
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नहीं हमको भाती अदावत की दुनिया 
बसानी है अब तो मोहब्बत की दुनिया
 
ये दुनिया बसी थी वफ़ा की ज़मीं पर, 
मगर दिख रही अब हिक़ारत की दुनिया 
 
हमें आपसे अब गिला कुछ नहीं है, 
बहुत देख ली ये शराफ़त की दुनिया 
  
बहुत बे अदब अब सनम हो गए हैं, 
मिली जब से उनको लियाक़त की दुनिया 
 
बिना मोल के कुछ मिलेगा न तुमको, 
जहाँ तुम हो वो है तिज़ारत की दुनिया 
 
जो सच हम कहें तो हो जाएँगे बाग़ी, 
ज़रा बच के, ये है बग़ावत की दुनिया 
 
भुला दोगे ‘शोभा’ जहाँ भर की नफ़रत, 
ये दिल है हमारा मुहब्बत की दुनिया 
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