मौन अधर कुछ बोल रहे हैं
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत डॉ. शोभा श्रीवास्तव1 Sep 2021 (अंक: 188, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
सूखे-सूखे खेत निहारे, भीगी-भीगी आँखें।
जो थी उड़ने को बेकल, सिमट गयीं वो पाखें॥
द्वार पीर का खोल रहे हैं।
मौन अधर कुछ बोल रहे हैं॥
बरखा तुझसे मन है रूठा, देख तेरी निठुराई।
फटी-फटी छाती धरती की, तुझको लाज न आई॥
बूँद-बूँद अनमोल रहे हैं।
मौन अधर कुछ बोल रहे हैं॥
सूखी पड़ गई धान की बाली, हरियायापन पीत हुआ।
गाते राग मल्हार थे जो हल, भग्न हृदय का गीत हुआ॥
सपने आज टटोल रहे हैं।
मौन अधर कुछ बोल रहे हैं॥
बदरा कह, कैसे इस जग को, मिलेगा दाना-पानी।
हल ख़ामोश, बैल चुप-चुप हैं, सहमी-सहमी किसानी॥
भूखे पंछी डोल रहे हैं।
मौन अधर कुछ बोल रहे हैं॥
सूखे-सूखे खेत निहारे, भीगी-भीगी आँखें।
जो थी उड़ने को बेकल, सिमट गयीं वो पाखें॥
द्वार पीर का खोल रहे हैं।
मौन अधर कुछ बोल रहे हैं।
मौन अधर कुछ बोल रहे हैं॥
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
अंतिम गीत लिखे जाता हूँ
गीत-नवगीत | स्व. राकेश खण्डेलवालविदित नहीं लेखनी उँगलियों का कल साथ निभाये…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
ग़ज़ल
- अर्श को मैं ज़रूर छू लेती
- करूँगा क्या मैं अब इस ज़िन्दगी का
- ख़त फाड़ कर मेरी तरफ़ दिलबर न फेंकिए
- डरता है वो कैसे घर से बाहर निकले
- तीरगी सहरा से बस हासिल हुई
- तुम्हारी ये अदावत ठीक है क्या
- दर्द को दर्द का एहसास कहाँ होता है
- धूप इतनी भी नहीं है कि पिघल जाएँगे
- फ़ना हो गये हम दवा करते करते
- रात-दिन यूँ बेकली अच्छी है क्या
- वो अगर मेरा हमसफ़र होता
- हमें अब मयक़दा म'आब लगे
- ख़ामोशियाँ कहती रहीं सुनता रहा मैं रात भर
गीत-नवगीत
- अधरों की मौन पीर
- आओ बैठो दो पल मेरे पास
- ए सनम सुन मुझे यूँ तनहा छोड़कर न जा
- गुरु महिमा
- गूँजे जीवन गीत
- चल संगी गाँव चलें
- जगमग करती इस दुनिया में
- ठूँठ होती आस्था के पात सारे झर गये
- तक़दीर का फ़साना लिख देंगे आसमां पर
- तू मधुरिम गीत सुनाए जा
- तेरी प्रीत के सपने सजाता हूँ
- दहके-दहके टेसू, मेरे मन में अगन लगाये
- दीप हथेली में
- फगुवाया मौसम गली गली
- बरगद की छाँव
- मौन अधर कुछ बोल रहे हैं
- रात इठला के ढलने लगी है
- शौक़ से जाओ मगर
- सावन के झूले
- होली गीत
- ख़ुशी के रंग मल देना सुनो इस बार होली में
कविता
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
नज़्म
कविता-मुक्तक
दोहे
सामाजिक आलेख
रचना समीक्षा
साहित्यिक आलेख
बाल साहित्य कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं