फ़ना हो गये हम दवा करते करते
शायरी | ग़ज़ल डॉ. शोभा श्रीवास्तव1 May 2024 (अंक: 252, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
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मुहब्बत में दिल की शिफ़ा करते करते।
फ़ना हो गये हम दवा करते करते।
वफ़ा करते करते न हारे कभी हम,
मगर थक गये तुम ज़फ़ा करते करते।
सही जो लगे, कर चलो काम अपना,
वो रह जाएँगे बस ग़िला करते करते।
ज़हालत की वज़्हा से तनहा हुआ मैं,
मिला और क्या अब दग़ा करते करते।
ज़माने में रुसवाइयाँ ही मिली हैं,
जहाँ भी गया जो नशा करते करते।
सदा जा रही है ख़ुदा तेरे दर तक,
असर हो रहा है दुआ करते करते।
कहीं आँच तुम तक पहुँचे न ‘शोभा’,
ज़रा बच के रहना हवा करते करते।
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