पड़ोस में रहता है शहर
काव्य साहित्य | कविता डॉ. शोभा श्रीवास्तव15 Aug 2022 (अंक: 211, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
मेरे शहर के पड़ोस में
एक और शहर है
बिल्कुल शहर जैसा
मेरा शहर गाँव जैसा है
पड़ोस के शहर में जो कुछ होता है
वैसा कुछ भी नहीं होता
मेरे गाँव जैसे शहर में
पर मेरा शहर सुनता है
पड़ोस के शहर में होने वाली
हर हादसे की आहट
टूटे हुए रिश्तों का बिसूरना
मेरा शहर देखता है
अधकचरे संकल्पों का बौनापन
बिखरी संवेदनाएँ
एक ऐसा शहर
जो सिर्फ़ शरीर है
आत्महीन
गाँव जैसा मेरा शहर
बचना चाहता है
शहर जैसा गाँव होने से।
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