क्या वो बच जाती?
काव्य साहित्य | कविता अमर परमार3 Feb 2017
उस दिन एक बूढ़ी औरत
कोशिश कर रही थी, सड़क पार करने की
काफी रेला था सड़क पर वाहनों का
सो पार करने में घबरा रही थी वह
मैंने भी उसे देखा था
सोचा कि हाथ पकड़ कर पार करा दूँ
मेरी सोचा-विचारी में ही
उसने अपने क़दम बढ़ा दिए
और एक गाड़ी ने उसे टक्कर मार दी
वृद्धा ने भी दम तोड़ दिया शायद
मैंने दृश्य देखा, फिर आगे बढ़ चला
ऊपरवाले को शुक्रिया कहा
बच गए, नहीं तो आज उसे बचाने के फेर में
मैं भी जाता
मैं उसकी मदद करता
तो क्या वो बच जाती?
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
हास्य-व्यंग्य कविता
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं