चन्द्रग्रहण
काव्य साहित्य | कविता डॉ. पूर्वा शर्मा1 Nov 2019
आज चन्द्र भी लजा रहा
लुक-छिप के वो रिझा रहा
प्रियतम से मिलकर है आया
तभी तो उस पल दिख ना पाया
प्रेम अगाध वो पाकर आया
रंग प्रीत का ऐसा छाया
श्वेत वर्ण से हुआ है मुक्त
रक्तिम दिखे लाज से युक्त
पाकर प्रीत हुआ है पूर्ण
प्रकट हुआ है अब संपूर्ण।
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