ईर्ष्या बनाम प्रेरणा
काव्य साहित्य | कविता निर्मला कुमारी1 Feb 2023 (अंक: 222, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
जीवन का आरंभ
चुनौती का सवेरा है,
जीवन की शाम
चुनौती का बसेरा है।
जलन होती है ज़माने को
किसी के शिखर पर होने से,
ईर्ष्या ही प्रेरणा है,
ख़ुशी मिलती है लक्ष्य पाने से।
ईर्ष्या हमें लक्ष्य से विलग करने
का प्रयास है
ईर्ष्या ही सफलता का राज है।
लक्ष्य की चुनौती को
नई ऊर्जा से ग्रहण करना है,
हताश न हो शिखर पर
पैर जमाना है।
उनकी ईर्ष्या से प्रेरणा ले
लक्ष्य हासिल करना है,
ईर्ष्या दुखी होती है सफलता से
उसे सुख मिलता है दूसरों,
की असफलता से।
ईर्ष्या ही कारण है बड़ी
बड़ी घटनाओं की
महाभारत जिसका उदाहरण है।
हम तो लक्ष्य पा गए
हँसते-हँसते
ईर्ष्यालु खड़ा है
गीली लकड़ी सा सुलगते-सुलगते।
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