ओस की बूँद
काव्य साहित्य | कविता चंद्रभान सितारे15 Sep 2023 (अंक: 237, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
नभ में घटा छटा है
मेदिनी का तपन घटा है
सर्द रात की चादर ओढ़े
तेरे आतिथ्य में जुटा है
प्रात: दिनकर के आने से
कृष्ण तम के छट जाने से
किसलय पर चमकते तुम
उत्कृष्ट मोती के दाने से
होकर उत्पन्न जाड़ों से
तुम भयभीत होते नहीं
तपस के अचूक बाणों से
अल्प अवधि प्राणों से
बोध हमें अब हो गया है
ओस के पुराणों से
आज का रूखा-सूखा आहार सही है
कल के छप्पन-भोग के सेवन से
अल्प, परिशुद्ध ही उत्तम है
दीर्घ, कलुषित जीवन से
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