प्रेम रहस्य
काव्य साहित्य | कविता चंद्रभान सितारे15 Oct 2023 (अंक: 239, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
प्रेम रहस्य तो रहस्य ही है
पर कोई रहस्य नहीं
अपने प्रेम का
सहस्र जतन के बाद भी
छलक ही गई हे! प्रिये
गगरी अपने प्रेम की
तेरे शृंगार में, हे! शुभे
प्रेम का हर शृंगार है
देख जिसे मेरे शीतल
मर्म हृदय पर
दहकता विरह अंगार है
तेरे केशों के गजरे से
महक उठी है, हे! हृदये
नगरी अपने प्रेम की
चमक उठती हैं आँखें जो
तेरे मुख के आभा मंडल से
बेचैन सी हो जाती हैं
तेरे ओझल हो जाने से
अश्रु मेघ के बहने से
भीग उठी है, हे! प्रेयसी
चदरी अपने प्रेम की
तेरी स्मृतियों का
वेद लिए
अनन्त असीमित
प्रेम लिए
विश्वास का नभ
अखंड अभेद लिए
कठिन प्रतीत होता है
विस्मृत होना, हे! प्रणयिनी
डगरी अपने प्रेम की
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