लगता है कहीं चुनाव है . . .
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता चंद्रभान सितारे1 Nov 2023 (अंक: 240, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
घबराए हुए बादल,
पलकें झुकाये हुए
रात, क्यों हैं?
रूठी हुई चाँदनी,
तो मुँह फुलाये हुए
चाँद, क्यों हैं?
नेताओं के चहरों पर भी
ऐसा ही भाव है;
ज़मीं पर भी आजकल
आसमानी प्रभाव है;
लगता है कहीं चुनाव है . . .
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