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मेरे ख़्वाबों की ताबीर

 

असंख्य यादों के तारे
टिमटिमाते हैं
मेरे मन मस्तिष्क के
आकाशगंगा में
मैं, गहरी नींद की
आग़ोश में होता हूँ
जब कभी तुम्हें यादकर
चैन से सोता हूँ
 
तेरे मुस्कान-सी मीठी सुबह
तेरे आग़ोश सी सुखद शाम
तेरे मिजाज़ सी बदलती
कई अनोखी रातें
तेरे संग बिताता हूँ
होकर सवार ख़्वाबों की तश्तरी में 
जब कभी मैं तेरे क़रीब आता हूँ

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