श्री राधे
काव्य साहित्य | कविता समीर द्विवेदी 'नितान्त'15 Feb 2024 (अंक: 247, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
तुम ही मीरा राधिका,
हो तुम ही घनश्याम॥
डूबा हूँ मैं सोच में,
क्या दूँ तुमको नाम॥
दो नयनों से-दो दिखें,
इत राधा-उत श्याम॥
रसना तू-एक ठीक है,
जपे जो-राधे नाम॥
राधे में ही राधिका,
राधे में ही श्याम॥
रसना नित सुमिरन करे,
राधे-राधे नाम॥
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