जागो मतदाता अब जागो
काव्य साहित्य | कविता समीर द्विवेदी 'नितान्त'15 Apr 2024 (अंक: 251, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
राजनीति का महासमर है!!
जिसका चर्चा हर घर घर है!!
पता नहीं किस करवट बैठे,
ऊँट, सभी को इसका डर है!!
मतदाता ही भाग्य विधाता,
मतदाता ही अब ईश्वर है!!
वंदन अभिनन्दन क्रम जारी,
चर्चा में प्रत्येक ख़बर है!!
जागो मतदाता अब जागो,
एक वोट का बड़ा असर है!!
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