माँ की याद
काव्य साहित्य | कविता डॉ. आरती स्मित15 May 2022 (अंक: 205, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
(प्रेषक: अंजु हुड्डा)
माँ आँचल में सुखाती धूप
बीनती दुख के कंकड़
झाड़ती-फटकती बाधाएँ
सार-सार गहती
निश्छ्ल प्रेम और आशीष
मेरे लिए।
जब याद आती है माँ,
उनकी सदाएँ —
उनकी दुआएँ
धूप में उग आता है
घना बरगद और
पीपल का पेड़
आज भी
माँ की पुचकार
अधिक बल देती है।
उनके नेहल हाथ
समेट लेते हैं
वक़्त की तपिश से
तन-मन पर
चुहचुहाती बूँदें।
उनके शब्द
प्राण भर देते हैं
त्रासद साँसों में
और
मेरे प्रति उनकी चिंता
‘तू ठीक तो है ना!”
जीवनमयी बना जाता है
राख हुई संवेदनाओं को।
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