एक दीया उनके नाम
काव्य साहित्य | कविता डॉ. आरती स्मित15 Oct 2020 (अंक: 167, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
एक दीया उनके नाम
जो बेतरह बेवज़ह
मसलकर बुझा दिए गए
और
डूब गईं आदिवासी झोपड़ियाँ
अँधेरे में
एक दीया उनके नाम
जिनकी बूढ़ी हड्डियाँ
करती थीं मशक़्क़त
अब भी
चूल्हा सुलगाने के लिए
और
रगों में दौड़ता जवान खून
देता था साथ
... ...
... ...
पाई थी उन्होंने
संवेदना को भोथरा कर देनेवाली
मर्मांतक पीड़ा!
एक दीया उनके नाम
जिनकी साँसें क़ुर्बान हुईं
सेवा के नाम
अवहेलना और लाचारी में!
एक दीया उनके नाम
जिनका श्रम प्रवासी हुआ
और
भूख, प्यास परिजन
...
जिनके दीये बुझ गए
असमय अनचाहे
और
भर गए रेत आँखों में
...
जला गए आँचल
और तोड़ गए लाठी
झुकती कमर का!
एक दीया उनके नाम
जिनकी पंखुरियाँ नोच डाली
वहशी पंजों ने
...
झड़ गईं कलियाँ
उद्यान में!
एक दीया उनके नाम
जिन्होंने
सरहद की रेखा से सस्ता
माना माँग का सूरज
...
बूढ़ी आँखों का उजाला
और
घर पर बरजता सन्नाटा
एक दीया उनके नाम
एकांत के खौफ़ से बिंधे
मौन ओढ़े मौन बिछाए
डोला करते हैं
जीवन की थरथराती साँझ लिए
एक दीया उनके नाम
जिनकी संवेदना थिरकती रही
सेवा और सुरक्षाकवच बनकर
अंतिम दीया ईश्वर के नाम
जो उतरा है उजास लिए
रणबाँकुरों के भीतर...
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