शिव संग मैंने खेली होली
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत डॉ. आरती स्मित15 Mar 2022 (अंक: 201, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
(कविता संग्रह 'ज्योति कलश' में संकलित)
शिव संग मैंने खेली होली
काया मेरी बनी रंगोली
लाल, गुलाबी, नीला, पीला
तन पर लगा बासंती मेला
अलसाई ऋतु आए, न जाए
पल पल मानव मन रिझाए
पीकर भाँग मदमत्त भये
मानवी के मनमीत अहे
उलझी लट सुलझाऊँ कैसे
योगी शिव को रिझाऊँ कैसे
मानव-मन आमोद भरा है
चुनर रंग गुलाल जड़ा है
धरा सतरंगी हो..ली रे
मीत संग खेली जो होली रे
इंद्रधनुष निखरा गगन
कृष्णमयी राधा हो गई मगन
प्रीतरंग छूटै न छूटे
दासी मीरा तोड़ै न टूटे
प्रभु लीला प्रभु ही जाने
स्मित शिव को मनमीत माने।
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Pankaj Mishra 2022/03/12 12:28 PM
Bohot hi sundar panktiyo ka mell hai..