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राणा तुमको शत-शत प्रणाम..

राणा तुमको शत-शत प्रणाम॥
थे वीर शिरोमणि त्यागी तुम,
माँ के सच्चे अनुरागी तुम 
ना भटके लोभ-प्रलोभन में,
रहे स्वतंत्रता के हामी तुम 
वन-वन भटके ना बने गुलाम॥
राणा तुमको....
धरती माँ के सच्चे सपूत,
थे धर्म-ध्वजा के तुम वाहक 
मित्रों को शीतल शशि जैसे,
दुश्मन को अग्नि से दाहक 
अरिदल में भगदड़ मच जाती,
चेतक की खींचे जब लगाम॥
राणा तुमको...
कूंचा-कूंचा अब भी, 
तेरा यश गाये
तीर्थ बन गई रक्त-तलाई,
सब आकर शीश झुकाएँ
हल्दीघाटी धन्य हो गई,पाकर तेरा नाम॥
राणा तुमको...
आन-वान ना तजि,
तजे थे तुमने भोग रसीले 
हम गर्विले तुम पर राणा,
हे साहसी, वीर, हठीले 
था मेवाड़ी प्रखर-सूर्य, 
जो चमका आठों - याम॥
राणा तुमको शत-शत प्रणाम॥

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