आओ दीप जलायें
काव्य साहित्य | कविता विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'11 Oct 2014
आओ दीप जलायें
दीपावली मनायें॥
आज राम आये निज धाम
निपटा करके सारे काम
जननिजन्मभूमिश्च... का मंत्र
हम सब भी अपनायें॥
आओ दीप जलायें...
स्नेह -प्रेम का हो उजाला
द्वेष- भाव का हो मुख काला
समरसता की बने मिठाई
एकता के मोदक खायें॥
आओ दीप जलायें...
ये दिवले, ना बुझ पायें
कैसे भी झंझावत आयें
चले अनार, बम, फुलझड़ियाँ
आतंकवाद मिटायें॥
आओ दीप जलाये
दीपावली मनायें॥
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