होली का त्यौहार
काव्य साहित्य | कविता अमित कुमार सिंह5 May 2006
लेकर रंगों की फुहार
आ गया है होली का त्यौहार,
चारों ओर छायी ख़ुशहाली
रंगों की ये छटा है मतवाली,
मिटा कर दिलों की दूरी
खेल रहे हैं देखो सब होली,
लेकर मन में नयी उमंग
मचा रहे हैं, बच्चे भी हुड़दंग
लाल-हरा, पीला-नीला
अद्भुत है रंगों का ये मेला
बच्चे, बूढ़े और जवानों की टोली
खेल रही है मिलकर होली
चारोंं तरफ़ ख़ुशियाँ छायी
मस्ती का है आलम
रहा न ऊँच-नीच का भेद
रंगो में डूबे सब हो गये एक
रंगो की हो रही बौछार है
बुरा न मानो दोस्तो होली का ये त्यौहार है
मिला रहा जो सारा परिवार है
वसुधैव कुटुंबकम् इसका सार है।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
हास्य-व्यंग्य कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं