अचेतन
काव्य साहित्य | कविता मीना चोपड़ा18 Jun 2008
जला करते हैं
राख से निकलकर अँधेरे
साँस के टुकड़े को
जगाने के लिये,
उम्र की नापाक
हथेली से फिसलकर
जो बियाबान जंगलों में घिरी
संकीर्ण गुफाओं में छुपा
नींद को ओढ़े हुए
सोने का बहाना करता है।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं