स्वर्णिम भारत
काव्य साहित्य | कविता डॉ. विनीत मोहन औदिच्य1 Aug 2023 (अंक: 234, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
(सॉनेट)
सार्थक जीवन का साथियो है यही परम उद्देश्य
विकसित और संपन्न हों गाँव प्रदेश और यह देश
भ्रूण की हत्या छुआछूत और जात-पाँत की रीत
जुआ शराब नशे के व्यसन से कोई न करना प्रीत।
कन्या लक्ष्मी रूप मान कर घर घर हो उनका सम्मान
नारी शक्ति को पहचानें, करे न अब कोई अपमान
हों शिक्षित समस्त नर नारी, धरम करम में पक्के
राष्ट्रभक्ति और संस्कारों से, हों पोषित देश के बच्चे।
उन्नत खेती पर हो निर्भर रहें प्रसन्न अन्नदाता किसान
श्रम की शक्ति को अपनाये, शहरी और ग्रामीण युवान
अधुनातन विज्ञान की धारा, अब लाये चहुँ दिस क्रांति
जन-जन के आँगन में खेले, सुख, समृद्धि और शान्ति।
शहर की अंधी दौड़ बंद कर सब जन लाएँ नवीन समग्र विकास
गाँव, नगर वासी मिलजुल कर लिखें स्वर्णिम भारत का इतिहास।
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