ज़माने में चर्चा है रहता ख़बर में
शायरी | ग़ज़ल डॉ. विनीत मोहन औदिच्य15 Nov 2023 (अंक: 241, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
ज़माने में चर्चा है रहता ख़बर में
नहीं पर वो आता है अपनी नज़र में
अँधेरे में जुगनू चमकता है लेकिन
फ़लक पर निकलता है सूरज सहर में
न भूला हूँ यादें न भूला हूँ फ़ुर्क़त
मेरी ज़िन्दगी है जफ़ा के असर में
लिखी दास्तां इश्क़ की तल्ख़ उसने
मुहब्बत भी रोती रही हर पहर में
मेरी आरज़ू का जनाज़ा जो निकला
लिए फूल वो भी खड़ा था डगर में
इधर के रहे ना उधर के रहे बस
लटकती रही ज़िन्दगी ये अधर में
मुझे ‘फ़िक्र’ मंज़िल दिखाई न दे अब
चला जा रहा हूँ मैं अंधे सफ़र में
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