भारत वर्ष
काव्य साहित्य | कविता डॉ. विनीत मोहन औदिच्य1 Aug 2023 (अंक: 234, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
(सॉनेट)
नये वर्ष का सूरज बन कर, प्रभु कृपा दृष्टि कर दे
तिमिर हटाकर जीवन पथ को, आलोकित कर दे
दैविक, भौतिक संतापों से, मुक्त हों भारत के वासी
रहें प्रफुल्लित सब जन गण कभी न छाये यहाँ उदासी।
पुण्य सलिल से सिंचित खेत सब, स्वर्ण धान्य उपजायें
शस्य श्यामला धरा, बाग़, फल-फूलों से खिल जायें
रहे न बचपन कोई अभागा, छाँव मिले ममता की
नारी का सम्मान करें सब, सेवा भी मात पिता की।
हो किसान ऋण मुक्त, सुखी, संपन्न यही वर लेना
दिशा हीन को दिशा दिखा और बेघर को घर देना
जन जन में स्फूर्ति चेतना, नव यौवन अब भर जाये
मिट जाये आतंक, शान्ति का, शाश्वत स्वर मिल पाये।
मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर से, गूँजे बस एक ही नारा
प्रेम की भाषा बोल एक है, भारत वर्ष हमारा प्यारा॥
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
अनूदित कविता
ग़ज़ल
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं