प्रभु गजानन से विनती
काव्य साहित्य | कविता प्रेम ठक्कर ‘दिकुप्रेमी’1 Oct 2024 (अंक: 262, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
हे गजानन, आज आपसे विनती है मेरी,
दिल के घावों को दे दो थोड़ी सी सांत्वना तेरी।
बिछड़ गया है जो सबसे प्यारा, उसे लौटा दो,
मेरे टूटे अरमानों को फिर से आप सजा दो।
आपकी कृपा से जीवन में सवेरा लाओ,
विरह की इस रात में, अपना प्रकाश दिखाओ।
हर तड़प, हर पीड़ा को आप हर लो,
मेरे मन की दुनिया को फिर से रंगीन कर दो।
आप हो दुखहर्ता, आप हो सुखकर्ता,
जीवन के हर मोड़ पर आप ही मेरे संबलदाता।
बस एक बार कर दो कृपा अपार,
लौटा दो उसे जो है मेरे दिल का आधार।
आपकी शरण में हूँ, बस यही है मेरी आस,
लौटा दो मेरा प्रेम, और भर दो दिल में विश्वास।
सब जानते हो बाप्पा, मार्ग दिखा दो,
मुश्किलों से मुझे पार कराओ, जीवन को फिर से सजा दो।
मैं नहीं रह सकता उसके बिना, बाप्पा,
मुझे मेरा जीवन फिर से लौटा दो।
मैं नहीं रह सकता उसके बिना, बाप्पा,
मुझे मेरा जीवन फिर से लौटा दो।
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