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कभी कभी जब मन उदास हो जाता है

कभी कभी जब मन उदास हो जाता है
तब हमें अपने साथ घटित हुई
हर नकारात्मक घटना याद आने लगती है
साथ में वे मक्खियों की तरह भिनभिनाते हुए
हताश करते लोग। 
इन लोगों की ये ख़ासियत होती है
कि ये बेचारे अपने जीवन में भी
हताश, हीन, और शून्य होते हैं। 
ये ख़ुद तो नकारात्मक होते ही हैं
पर सामने वाले को भी
रामायण के एक पात्र
बालि की तरह
उस की सकरात्मकता की शक्ति को
सोख कर उसे
भी नकारात्मक बना देते हैं। 
ऐसे हताश करने वाले लोगों से
बचकर ही रहना बेहतर है
तभी तो संगति की महिमा बताई गई है। 
यदि आपके चारों ओर नकारात्मकता का
वातावरण बन भी जाए
तो एक कछुए की तरह अपने आपको ख़ुद के
अंदर समेट लो
अपने आत्मबल से
सकारात्मकता लाने का प्रयास करो
क्योंकि आत्मबल के आगे सब बौने नज़र आते हैं। 

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