सुनी सुनाई बात
काव्य साहित्य | कविता प्रवीण कुमार शर्मा15 Nov 2025 (अंक: 288, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
सुनी सुनाई बात
की क्या ही बिसात!
सुनी सुनाई बात
होती है बिल्कुल बकवास।
जो सुनी सुनाई बात को
गले लगाए
बाद में वह
भारी पछताए।
सुनी सुनाई बात की तो छोड़ो
देखी दिखाई बात भी शत प्रतिशत
सही निकले ये भी ज़रूरी नहीं।
आख़िर में सच तो यही है
इन बातों में आज तक जो भी फँसा
फिर वह रहा कहीं का भी नहीं है॥
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