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प्रेम का पुरोधा

 

 

लेखक: प्रवीण कुमार शर्मा

प्रकाशक: साहित्य कुञ्ज (sahityakunj.net)

 

भूमिका

 

यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो अपने जीवन को दूसरों के लिए होम कर देता है। 

स्नेहमल नाम का यह व्यक्ति अपने दृढ़ चरित्र से अन्य लोगों के चरित्र को गढ़ता हुआ चलता है। इसके जीवन में कई समस्याएँ भी आती हैं लेकिन वह संत स्वभाव का होने के कारण समस्त समस्याओं को पार पाने में सफल होता है। वह बहते हुए पानी की तरह निर्मल स्वभाव का धनी होने के नाते लोगों के मनों में व्याप्त बुराइयों को प्राच्छालित करता हुआ अपनी जीवन यात्रा को मुस्कुराते हुए समाप्त कर अनन्त यात्रा की ओर सफ़र कर जाता है।

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