क़िस्मत की लकीरों ने
काव्य साहित्य | कविता प्रवीण कुमार शर्मा15 Apr 2022 (अंक: 203, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
क़िस्मत की लकीरों ने
मुझे तुझसे जुदा कर दिया।
कमी तो नहीं थी हमारे इश्क़ में
शरीक ए इश्क़ ने हमें रुला कर रख दिया।
क़िस्मत की लकीरों में
एक लकीर इश्क़ की भी उकेरनी है
वादा है मेरा तुझसे, ए हसीं!
इश्क़ ए चादर तेरे क़दमों में बिखेरनी है॥
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