जेठ मास की गर्माहट
काव्य साहित्य | कविता प्रवीण कुमार शर्मा1 Jul 2023 (अंक: 232, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
जेठ मास गर्माहट का
ही माना गया है
लेकिन आजकल तो
मास, मौसम और मानव
ने रंग बदलना शुरू कर दिया है।
मौसम और मानव का तो
स्वभाव ही है
गिरगट की तरह रंग बदलते रहना
लेकिन मास जो एक एक करके
एक वर्ष को पूर्ण करते हैं
ये मास जो समय की महत्त्वपूर्ण
इकाई होते हैं
अब ये भी रंग बदलने लगे हैं
लगता है ये भी मानव की
संगति करने लगे हैं।
सर्द मास गर्माहट तो
गर्म मास बरसात करने लगे हैं
वहीं बरसात वाले मास
घरों से सर्द कपड़े निकलवाने लगे हैं।
कभी कभी तो मुझे लगता है
कि प्रकृति के हर आयाम
अब हमें सबक़ सिखाने लगे हैं।
ये जलवायु जो इन मासों
से बेतुके काम करवा रही है
गर्म को सर्द तो सर्द को
बरसवा रही है।
कहीं धरती जल विहीन
तो कहीं जंगलविहीन
दिख रही है
ये लक्षण कुछ
सही नहीं लग रहे
प्रकृति के प्रकोप का
ये आग़ाज़ दिखा रहे हैं।
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