मौसम की तरह जीवन भी
काव्य साहित्य | कविता प्रवीण कुमार शर्मा1 May 2023 (अंक: 228, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
मौसम की तरह
जीवन भी कई
ऋतुओं से होकर गुज़रता है।
कभी बसन्त तो कभी
पतझड़ का सामना करता है।
जीवन का बासन्ती काल
पीली पीली सरसों सा
खिला खिला
कोयल की मधुर मधुर
कूक सा
भँवरे की प्रेमरस से भरी
आवाज़ सा
माँ सरस्वती के धवल
स्वरूप सा
मंद मंद बहती हुई
समीर सा
परिलक्षित होता है।
वहीं जीवन का
पतझड़ी काल
झींगुरों की झीं झीं की
आवाज़ सा
उमस से भरा विकल
मौसम सा
कँपकँपाती सर्द
हवाओं सा
अँधियारी काली
रात सा
अकेलेपन के घाव
को कुरेदता सा
लक्षित
होता है।
लेकिन जीवन कभी
रुकता नहीं है
पतझड़ी मौसम में
भी आशान्वित नज़रों से
प्रतीक्षा करता है
उस बसन्त आगमन की
जो पतझड़ी काल में
सही गयी जीवन की
सारी आह को
अपने समीर के एक झोंके
से पलक झपकते ही
हर लेता है।
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