समय
काव्य साहित्य | कविता अशोक रंगा15 Oct 2023 (अंक: 239, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
समय निरंतर
चलता रहेगा
ना रुका है
ना रुकेगा
हम सबको भी
समय के साथ
चलना होगा
और फिर
समय के साथ
बीतना होगा
नहीं पता
फिर कहाँ
जाना होगा
आज के सुख दुःख
आज है
कल नहीं होंगे
हज़ारों साल पहले
हज़ारों लोग
इस धरती पर आए
और
उनके सुख दुःख
उनकी चिताओं में
भस्म हो गए
उनकी क़ब्र में
दफ़न हो गए
एक दिन
हम भी चल पड़ेंगे
और
हमें भी गुज़रे हुए
हज़ारों लाखों साल
गुज़र जाएँगे
फिर क्यों न
हर हाल में हम
मुस्कुराने की
कोशिश करें
दूसरों को
मुस्कान दें
हर पल
आनंद की
तलाश में रहें
आओ क्यों न
जिएँ और जीने दें
जिएँ और जीने दें
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