अभिनन्दन है
काव्य साहित्य | कविता डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी15 Apr 2021 (अंक: 179, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
नये साल का अभिनन्दन है
कितना देखो पुलकित मन है
माना थोड़ी गर्म हवा है
लेकिन ये ख़ुशनुमा फ़िज़ा है
दुआ करें ये दिन जो जाए
नहीं कोरोना लौट के आये
पर ये जो हालात अभी है
अंत जो इसका है वो यही है
नहीं घूमने बाहर जाएँ
घर में ही नव वर्ष मनाएँ
बीज मोहब्बत का यों बोयें
रखें मास्क और हाथ भी धोएँ
हम देंगे सन्देश ये जाकर
नये साल का पर्व मनाकर
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