खिलने लगे हैं
काव्य साहित्य | कविता डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी1 Feb 2022 (अंक: 198, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
ख़ूबसूरत ये समां है
फूल भी खिलने लगे हैं
बादल उड़कर गगन से
किस तरह मिलने लगे हैं
हैं यहाँ पर एक नदी भी
दौड़ती ही जा रही है
मत रुको पग पर कभी तुम
ये हमें बतला रही है
आ गया है एक जुगनू
आसमां पर यों चमकने
जैसे कोई हो सितारा
आ गया हो साथ चलने
ये हवा जो बह रही है
गंध है चंदन की इसमें
छुईमुई लग रही है
देखकर कचनार जिसमें
किसने इस चिड़ियों को आख़िर
रूप रंग परवाज़ दी है
बादलों से बिजलियों से
किसने फिर आवाज़ दी है॥
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
पुस्तक समीक्षा
- अनिरुद्ध सिन्हा का ग़ज़ल संग्रह—‘तुम भी नहीं’ भीड़ में अपनों की तलाश
- अभी दीवार गिरने दो: जन चेतना को जाग्रत करने वाली ग़ज़लें
- उम्मीद का मौसम : रामचरण 'राग' की लिखी हुई भरोसे की ग़ज़ल
- तज कर चुप्पी हल्ला बोल: ग़ज़ल में बोध और विरोध का स्वर
- दुष्यंत के पहले के ग़ज़लकार: राधेश्याम कथावाचक
- बच्चों की बाल सुलभ चेष्टाओं का ज़िक्र करती हुई किताब— मेरी सौ बाल कविताएँ
- सन्नाटे में शोर बहुत: प्यार, धार और विश्वास की ग़ज़ल
- समय से संवाद करती हुई ग़ज़ल 'वीथियों के बीच'
- हिंदी में नये लबो लहजे की ग़ज़ल: 'हाथों से पतवार गई'
- ग़ज़ल में महिला ग़ज़लकारों का दख़ल
- ग़ज़ल लेखन में एक नए रास्ते की तलाश
कविता
किशोर साहित्य कविता
कविता - क्षणिका
साहित्यिक आलेख
- कवि निराला की हिन्दी ग़ज़लें
- घनानंद और प्रेम
- दिनकर की कविताओं में उनका जीवन संघर्ष
- प्रसाद की छायावादी ग़ज़ल
- मैथिली के पहले मुस्लिम कवि फ़ज़लुर रहमान हाशमी
- हिंदी ग़ज़ल का नया लिबास
- हिंदी ग़ज़लों में अंग्रेज़ी के तत्त्व
- हिन्दी ग़ज़ल की प्रकृति
- हिन्दी ग़ज़ल में दुष्यंत की स्थिति
- फ़ज़लुर रहमान हाशमी की साहित्यिक विरासत
बाल साहित्य कविता
- अगर हम बिजली ज़रा बचाते
- अब तो स्कूल जाते हैं
- आ जाती हो
- आँखें
- करो गुरु का
- खेल खिलौने
- चमकता क्यों है
- दादी भी स्मार्ट हुईं
- दी चाँद को
- देंगे सलामी
- नहीं दूध में
- नहीं ज़रा ये अच्छे अंकल
- पेड़ से नीचे
- पढ़ना ही है
- बाहर की मत चीज़ें खाओ
- भूल गई है
- मोटी क्यों हूँ
- योग करेगी
- रिमझिम पानी
- हैप्पी बर्थ डे चलो मनायें
- हो गई खाँसी
स्मृति लेख
बात-चीत
पुस्तक चर्चा
नज़्म
ग़ज़ल
किशोर साहित्य कहानी
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं