अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

पर्यावरण हम भूल न जायें 

 

आओ बच्चों पेड़ लगायें 
पर्यावरण को भूल न जायें 
 
यही पेड़ तो फल देता है 
जिससे बादल जल देता है 
 
सोचो हमसे क्या ले जाती
ये धरती तो भूख मिटाती 
 
दाना-पानी, हवा और ईंधन
हैं इस धरती के ही सृजन 
 
हम, पर कितना बोझ बढ़ाते 
बंजर धरती ही कर जाते 
 
नदियों में हम फेंकते कचरे 
पीते हैं जल जिसके बछड़े 
 
लिए जो पॉलीथिन हम आते 
कब धरती में ये गल पाते 
 
घर से निकलें गाड़ी लेकर 
चलें न और सवारी लेकर 
 
कितने धुएँ हम फैलाते 
ज़हर उगलते आते-जाते 
 
ज़रा ये हम जो क़हर न ढाएँ
पर्यावरण स्वतः बच जाये

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

पुस्तक समीक्षा

किशोर साहित्य कविता

कविता - क्षणिका

साहित्यिक आलेख

बाल साहित्य कविता

स्मृति लेख

बात-चीत

पुस्तक चर्चा

नज़्म

ग़ज़ल

किशोर साहित्य कहानी

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं