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हिंदी ग़ज़ल महत्त्व और मूल्यांकन 

चर्चित पुस्तक: हिंदी ग़ज़ल महत्त्व और मूल्यांकन (आलोचना)
लेखक: डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफ़री
प्रकाशक: इंक पब्लिकेशन, करेली प्रयागराज-16
मोबाइल: 9455400973
मूल्य: ₹220.00
पृष्ठ: 126
ISBN: 978-81-19624

 

हिन्दी कविता परंपरा में ग़ज़ल पाठकों के बीच हमेशा से लोकप्रिय रही है। ग़ज़ल अपने लालित्य, मिठास, मुहावरे, कहन, छंद विधान और प्रस्तुतीकरण की वजह से पाठकों को सहसा अपनी ओर खींच लेती है। इसे पढ़ते हुए ऐसा महसूस होता है, जैसे शायर उसी के दुख, दर्द तकलीफ़ों, ज़रूरतों और मोहब्बतों का बयान कर रहा है। 

हिन्दी में ग़ज़ल कोई नई विधा नहीं है। हज़रत अमीर ख़ुसरो, संत कबीर आदि को छोड़ भी दें तो भारतेंदु के समय से हिन्दी ग़ज़ल बाज़ाब्ता लिखी जा रही है। यह अलग बात है कि आलोचना के स्तर पर हिन्दी ग़ज़ल का अभी भी सही मूल्यांकन नहीं हो सका है। ग़ज़ल पर आई आलोचना की कुछ पुस्तकों को छोड़ दें तो एक शोधार्थी की ज़रूरत की तरह इसे सरसरी ढंग से लिख दी गई है। 

प्रस्तुत पुस्तक हिन्दी ग़ज़ल महत्त्व और मूल्यांकन हिन्दी ग़ज़ल को सरलता के साथ आलोचनात्मक स्तर पर देखने की एक कोशिश है। यह पुस्तक जहाँ हिन्दी ग़ज़ल की चली आ रही प्रवृत्ति को दिखलाती है, वहीं उसके विकास और विमर्श का जायज़ा भी लेती है। इस पुस्तक में ग़ज़ल के दलित स्वर, उसकी प्रकृति और उसके रूप स्वरूप एवं रिवायत की चर्चा विस्तार से की गई है। संभवतः पहली बार हिन्दी ग़ज़ल परंपरा में भारतेंदु हरिश्चंद्र, पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, जयशंकर प्रसाद, मुनव्वर राना और ग़ज़ल सम्राट दुष्यंत कुमार का विस्तार से अध्ययन किया गया है, साथ ही उनके महत्त्वपूर्ण अशआर को रेखांकित किया गया है। कहना ना होगा कि हिन्दी ग़ज़ल में रुचि रखने वालों के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक सिद्ध होगी। इस पुस्तक में एक साथ जहाँ अलग-अलग मिज़ाज के शेरों को पढ़ने-समझने का मौक़ा मिलेगा, वहीं उसकी आलोचनाक्रम का समग्र अनुशीलन भी किया जा सकेगा। 

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