हैदराबाद (तेलंगाना)
जन्म: 4 जुलाई, 1957। ग्राम गंगधाड़ी, ज़िला मुजफ्फर नगर, उत्तर प्रदेश।
शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी), एम.एससी. (भौतिकी), पीएच.डी. (उन्नीस सौ सत्तर के पश्चात की हिंदी कविताओं का अनुशीलन)।
कार्य:
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ख़ुफ़िया अधिकारी, इंटेलीजेंस ब्यूरो, भारत सरकार (1983-1990)।
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प्रोफ़ेसर, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, मद्रास (सेवानिवृत्त: 2015)।
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परामर्शी (हिंदी), दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद (2019-वर्तमान)।
शोध निर्देशन: डीलिट-2; पीएचडी-34; एमफिल-106
प्रकाशन :
14 काव्य संग्रह: तेवरी (1982), तरकश (1996), ताकि सनद रहे (2002), देहरी (स्त्रीपक्षीय कविताएँ, 2011), प्रेम बना रहे (2012), प्रेमा इला सागिपोनी (2013: तेलुगु अनुवादक- जी. परमेश्वर), प्रिये चारुशीले (2013: तेलुगु अनुवादक- डॉ. भागवतुल हेमलता), सूँ साँ माणस गंध (2013), धूप ने कविता लिखी है (2014), ऋषभदेव शर्मा का कविकर्म (2015, 2021: संपादक/समीक्षक- डॉ. विजेंद्र प्रताप सिंह), देहरी (2021: राजस्थानी अनुवादक- डॉ. मंजु शर्मा), IN OTHER WORDS (2021: अंग्रेज़ी अनुवादक/संपादक/समीक्षक- प्रो. गोपाल शर्मा), इक्यावन कविताएँ (2022), मलंग बानी (मुद्रणस्थ-2023)।
12 आलोचना ग्रंथ: तेवरी चर्चा (1987), हिंदी कविता: आठवाँ-नवाँ दशक (1994), साहित्येतर हिंदी अनुवाद विमर्श (2000), कविता का समकाल (2011), तेलुगु साहित्य का हिंदी पाठ (2013), तेलुगु साहित्य का हिंदी अनुवाद : परंपरा और प्रदेय (2015), हिंदी भाषा के बढ़ते कदम (2015), कविता के पक्ष में (2016), कथाकारों की दुनिया (2017), साहित्य, संस्कृति और भाषा (2021), हिंदी कविता: अतीत से वर्तमान (2021), रामायण संदर्शन (2022)।
संपादन: पदचिह्न बोलते हैं (1980), शिखर-शिखर (डॉ. जवाहर सिंह अभिनंदन ग्रंथ, 1994), कच्ची मिट्टी–2 (1994), माता कुसुमकुमारी हिंदीतरभाषी हिंदी साधक सम्मान : अतीत एवं संभावनाएँ (1996), अनुवाद का सामयिक परिप्रेक्ष्य (1999, 2009), भारतीय भाषा पत्रकारिता (2000)
अनुवाद: नई पीठिका, नए संदर्भ (2003), हिंदी कृषक (काजाजी अभिनंदन ग्रंथ, 2005), पुष्पक–3 (2003), पुष्पक–4 (2004), स्त्री सशक्तीकरण के विविध आयाम (2004), प्रेमचंद की भाषाई चेतना (2006), भाषा की भीतरी परतें (भाषाचिंतक प्रो.दिलीप सिंह अभिनंदन ग्रंथ, 2012), मेरी आवाज (2013, सदस्य- संशोधक मंडल), उत्तरआधुनिकता: साहित्य और मीडिया (2015), संकल्पना (2015), वृद्धावस्था विमर्श (2016), अन्वेषी (2016), निरभै होइ निसंक कहि के प्रतीक (डॉ. प्रेमचंद्र जैन रचनावली, 2016), ‘अँधेरे में’ : पुनर्पाठ (2017), समकालीन सरोकार और साहित्य (2017), अस्तित्व (तेलंगाना की तेलुगु कहानियाँ, 2019), तत्वदर्शी निशंक (डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक’ के साहित्य पर एकाग्र ग्रंथ, 2021), साहित्य सृजन की समकालीनता (ईश्वर करुण अभिनंदन ग्रंथ, 2022)।
विशेष:
★ 1981 में 'तेवरी काव्यांदोलन' का प्रवर्तन किया।
★अनंग प्रकाशन, दिल्ली ने 2022 में ‘धूप के अक्षर’ शीर्षक से दो भागों में 700 पृष्ठ का 'प्रो. ऋषभदेव शर्मा अभिनंदन ग्रंथ' प्रकाशित किया (संपादक- डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा)।
★'शोधादर्श' पत्रिका ने नजीबाबाद (उत्तर प्रदेश) से फरवरी 2023 में 134 पृष्ठ का 'प्रो. ऋषभदेव शर्मा विशेषांक' प्रकाशित किया (संपादक- अमन कुमार त्यागी)।
सम्मान: शब्दाक्षर, तेलंगाना द्वारा 'दिनकर सम्मान' (2023)। उपमा-कैलिफोर्निया द्वारा ‘विश्व राम संस्कृति सम्मान’ (2021)। भानु प्रतिष्ठान, नेपाल द्वारा ‘भानु साहित्य सम्मान’ (2020)। संपादक रत्न सम्मान (2020)। अंतरराष्ट्रीय हिंदी सेवी सम्मान (2018)। आचार्य चाणक्य सम्मान (2018)। विवेकी राय स्मृति साहित्य सम्मान (2018)। अंतरराष्ट्रीय साहित्य गौरव सम्मान (2017)। वेमूरि आंजनेय शर्मा स्मारक पुरस्कार-हैदराबाद (2015)। तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा ‘जीवनोपलब्धि सम्मान’ (2015)। सुगुणा साहित्य सम्मान-हैदराबाद (2015)। रमादेवी गोइन्का हिंदी साहित्य सम्मान (2013)। आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी द्वारा ‘हिंदीभाषी हिंदी लेखक पुरस्कार’ (2010)। रामेश्वर शुक्ल अंचल सम्मान-जबलपुर (2003)।
लेखक की कृतियाँ
सामाजिक आलेख
पुस्तक समीक्षा
- अधबुनी रस्सी : एक परिकथा
- अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान की व्यावहारिक परख
- अभी न होगा मेरा अंत : निराला का पुनर्पाठ
- आकाशधर्मी आचार्य पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी
- आदिवासी और दलित विमर्श : दो शोधपूर्ण कृतियाँ
- किंवदंतीपुरुष के मर्म की पहचान 'अकथ कहानी कबीर'
- प्राचीन भारत में खेल-कूद : स्वरूप एवं महत्व
- शब्दहीन का बेमिसाल सफ़र - डॉ. गोपाल शर्मा
- सामाजिक चेतना संपन्न एवं सोद्देश्य लघुकथाएँ-डॉ. रमा द्विवेदी कृत ‘मैं द्रौपदी नहीं हूँ’
- हमेशा क़ायम नहीं रहतीं ‘सरहदें’ : सुबोध
कविता
- अवसाद गीति
- आवास
- क्या है?
- क्यों यह गुंबद बनवाई है बतलाओ मुग़ले आज़म
- गोबर की छाप
- छब्बीस जनवरी
- दर्द भले कितना ही सहना
- दिल्ली से उठते हैं बादल और हवा में बह जाते हैं
- देश : दस तेवरियाँ
- धुँध, कुहासा, सर्द हवाएँ, भीषण चीला हो जाता है
- नाभिकुंड
- निवेदन
- पकने लगी फ़सल, रीझता किसान
- प्यार
- प्रिये चारुशीले
- महफ़िल में जयगान हो रहा लुच्चों का
- मार्च आँधी और आँधी जून है
- मैं आकाश बोल रहा हूँ
- मैं बुझे चाँद सा
- यह डगर कठिन है, तलवार दुधारी है
- यह समय है झूठ का, अब साँच को मत देख
- राजा सब नंगे होते हैं
- वसीयत
- संगम
- सत्य हुआ सत्ता का अनुचर, हर गंगे
- सबका देश समान है, सबका झंडा एक
- सूर्य: दस तेवरियाँ
- हाँ, सोने के बँगले में, सोते हैं राजाजी
ललित निबन्ध
दोहे
सांस्कृतिक आलेख
स्मृति लेख
साहित्यिक आलेख
- दक्खिनी हिंदी की परंपरा : ‘ऐब न राखें हिंदी बोल’
- भारतीय चिंतन परंपरा और ‘सप्तपर्णा’
- भारतीय साहित्य में दलित विमर्श : मणिपुरी समाज का संदर्भ
- रामकिशोर उपाध्याय की काव्यकृति 'दीवार में आले'
- लोकवादी भाषाचिंतक आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
- वे विलक्षण थे क्योंकि वे साधारण थे!
- हिंदी के हिंडोले में जरा तो बैठ जाइए
- हिंदी भाषा के विकास में पत्र-पत्रिकाओं का योगदान
पुस्तक चर्चा
- ''माँ पर नहीं लिख सकता कविता''
- अपने हिस्से के पानी की तलाश
- आने वाला समय हिंदी का है
- क्या मैंने इस सफ़ेदी की कामना की थी? : द्रौपदी का आत्म साक्षात्कार
- वसंत बास चुन-चुन के चुनरी बँधे : ‘दक्खिनी हिंदी काव्य संचयन’
- हिंदी काव्य-नाटक और युगबोध
- हिंदी भाषा चिंतन : विरासत से विस्तार तक
- ‘क्षण के घेरे में घिरा नहीं‘ : त्रिलोचन का स्मरण
- ’चाहती हूँ मैं, नगाड़े की तरह बजें मेरे शब्द‘
विडियो
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ऑडियो
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