रक्तपात से कब मिटी, रक्तपान की प्यास
काव्य साहित्य | दोहे प्रो. ऋषभदेव शर्मा1 Nov 2023 (अंक: 240, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
(दोहे)
सुनो, राधिके, जब तलक,
रही असुरता जीत
तब तक वर्जित हैं मुझे,
वृंदावन के गीत
जो चुप रहकर देखते,
बिना किए प्रतिकार
शीलहरण के पाप में,
वे भी भागीदार
जिनके भी माथे चढ़ा,
यहाँ युद्ध उन्माद
उनके कानों ने सुना,
कहाँ शान्ति संवाद
चीख-चीख कर पूछता,
युद्धों का इतिहास
रक्तपात से कब मिटी,
रक्तपान की प्यास
शत्रु पक्ष की औरतें,
बनीं गिद्ध का ग्रास
उनको ही सहना पड़ा,
सदा युद्ध का त्रास
सत्ता की उस भूख को,
बार-बार धिक्कार
जो बच्चों से छीन ले,
जीने का अधिकार
बदले की इस आग में,
जली मनुजता आप
उधर क्रोध तांडव करे,
करुणा इधर विलाप
हिंसा से, दुष्कर्म से,
मिटी प्रीत की रीत
बंदूकों को कब रुचे,
काव्य, कला, संगीत
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