आँखें
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी15 Nov 2019
ये छोटी सी काली आँखें
कितनी हिम्मत वाली आँखें
नज़र गड़ाए सरहद की
करती है रखवाली आँखें
रो देती है थोड़े दुःख में
रख देती है लाली आँखें
सबके दिल को मायल कर दें
ये है हँसने वाली आँखें
जग रौशन है इससे अपना
हमने अगर बचा ली आँखें
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