देंगे सलामी
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी1 Feb 2024 (अंक: 246, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
सजा-धजा घर आँगन है
क्या शादी का फ़ंक्शन है
कितने लगते हैं सब अच्छे
उछल रहे हैं सारे बच्चे
कल सब जाएँगे बाराती
बैठेंगे एक बस पर साथी
ख़ूब वहाँ पर मस्ती होगी
चीज़ें सारी अच्छी होंगी
दुलहन लेकर हम आएँगे
गीत जहाँ पर सब गाएँगे
वो तो प्यारी ख़ूब दिखेगी
सबका ही वो ध्यान रखेगी
मेहमां सारे फिर आएँगे
ख़ुशी मना कर वो जाएँगे
मिलेगी चीज़ें क़ीमती-दामी
दुलहन को सब देंगे सलामी
क्या शादी में ख़ूब मज़ा है
कहता इसको कौन सज़ा है
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