अभिव्यक्ति के अविराम
काव्य साहित्य | कविता सुषमा दीक्षित शुक्ला15 Oct 2024 (अंक: 263, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
इस देश के दिल राम हैं रूह भी श्रीराम हैं।
शिव शम्भु के वे परमप्रिय, हनुमान जी के प्राण हैं।
उनसा जगत में कौन है वह कैकेयी के राम हैं।
सत्य, शौर्य, धैर्य का अवतार मेरे राम हैं।
विश्वमित्र, वशिष्ठ को प्रिय, वानरों के राम हैं।
वाल्मीकि तुलसीदास की अभिव्यक्ति के अविराम हैं।
ब्रह्माण्ड भी श्री राम हैं मोक्ष भी श्रीराम हैं।
इस जगत के नायकों में महानायक राम हैं।
प्यार से वह बेर खाते प्यार पर क़ुरबान हैं।
दशानन का गर्व तोड़ा जानकी की जान हैं।
शत्रु की भी वीरता को जिसने किया प्रणाम है।
मंत्रों से बढ़कर है अगर श्री राम का ही नाम है।
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