स्वामी विवेकानन्द
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कविता सुषमा दीक्षित शुक्ला15 Jan 2022 (अंक: 197, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
स्वामी विवेकानन्द जी थे,
युग पुरुष मानव महान।
अल्पायु में ही पा लिया था
अनुपम अलौकिक दिव्य ज्ञान
राष्ट्र का जग में बढ़ाया,
मान शान आन बान।
बालक नरेंद्र बन गए फिर,
धरणि के दिनकर समान।
प्रेरणा का पुंज बन वह,
अमरता को पा गए।
माँ भारती का गर्व बनकर,
विश्व में थे छा गए।
अमेरिका में पहुँच जिसने,
धर्मध्वज फहरा दिया।
कम उमर में महाज्ञानी,
काल को भी भा गया।
प्रेरणा के स्रोत बनकर,
वह सदा मन में रहेंगे।
गंगा जमुना की धार जैसे,
देश के उर में बहेंगे।
-सुषमा दीक्षित शुक्ला
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
आओ, पर्यावरण बचाएँ
किशोर साहित्य कविता | डॉ. रामवृक्ष सिंहसूरज ने जब आँख दिखाई। लगी झुलसने धरती माई॥…
आज के हम बच्चे
किशोर साहित्य कविता | प्रतीक्षा नारायण बडिगेरहम नन्हे-मुन्हे तारे, आओ टिमटिमाएँ सारे।…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अग्नि
- अब ना सखी मोहे सावन सुहाए
- अभिव्यक्ति के अविराम
- अमर शहीद
- आशादीप
- आख़िर सजन के पास जाना
- आज़ाद चन्द्र शेखर महान
- इतिहास रचो ऐ! सृजनकार
- ऐ मातृ शक्ति अब जाग जाग
- ऐ! कविता
- ऐ! बसन्त
- ऐ! सावन
- कन्या भ्रूण हत्या
- कहीं फ़र्श तो कहीं रँगे मन
- कान्हा
- कोरोना से दिवंगतों को श्रद्धांजलि
- गङ्गे मइया
- गुनगुनी धूप अब मन को भाने लगी
- छत्रपति शिवाजी
- जय महाकाली
- जय श्री राम
- जल के कितने रूप
- जाने जीवन किस ओर चला
- जीवन और साहित्य
- तुम बिन कौन उबारे
- तू बिखर गयी जीवनधारा
- दोस्ती
- नव वर्ष
- नव संवत्सर
- नवल वर्ष के आँगन पर
- परी लगे भैया को बहना
- पवन बसन्ती
- प्रभात की सविता
- बरसात
- बैरी सावन
- भावना के पुष्प
- मर्यादा पुरुषोत्तम
- माँ
- माता-पिता की चरण सेवा
- मेरा गाँव
- मैं एक पत्रकार हूँ
- यह कैसो मधुमास
- ये जो मेरा वतन है
- ये मातृ भूमि का वन्दन है
- रोम रोम में शिव हैं जिनके
- लक्ष्मी बाई
- वीरों का ले अरि से हिसाब
- शिक्षक प्रणेता राष्ट्र का
- शिक्षक ही पंख लगाते हैं
- सच्चा श्राद्ध
- सरस्वती वंदना
- सावन पर भी यौवन
- सिंघिनी
- सुभाष चन्द्र बोस
- हाँ मैं श्रमिक हूँ
- हिंदुस्तान के रहने वालो
- हुई अमर ये प्रेम कहानी
- हे गणेश!
- हे! सूर्यदेव
- क़ुदरत की चिट्ठी
- ख़ाकी
किशोर साहित्य कविता
स्मृति लेख
लघुकथा
हास्य-व्यंग्य कविता
दोहे
कविता-मुक्तक
गीत-नवगीत
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं