आशादीप
काव्य साहित्य | कविता सुषमा दीक्षित शुक्ला15 Nov 2021 (अंक: 193, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
आओ आशा दीप जलाएँ
अंधकार का नाम मिटायें।
आओ आशा दीप जलाएँ।
अंधकार का नाम मिटायें।
रूह जलाकर ज़िंदा रहना।
जीवन की तो रीत नहीं
अंतिम हद तक आस न खोना,
मानव मन की जीत यही।
फूलों से महकें महकाएँ।
ख़ुशियाँ दोनों हाथ लुटाएँ।
आओ आशादीप जलाएँ।
अंधकार का नाम मिटायें।
सूखे पत्तों से झड़ जाते,
इक दिन दुःखों के साए।
मीत हृदय को धीरज देना,
पतझड़ ही मधुमास बुलाए
सूरज से चमके चमकाएँ।
जीवन का इक राग सुनाएँ।
आओ आशा दीप जलाएँ
अंधकार का नाम मिटायें।
ख़ुद से कभी न रूठो मितवा,
कोई कितना तुम्हें सताए।
नदियों जैसे बहते रहना
कोई कितनी रोक लगाए।
ख़ुशियों की सौग़ात सजाएँ।
दर्द दिलों के रोज़ मिटायें।
आओ आशा दीप जलाएँ।
अंधकार का नाम मिटाएँ।
जीवन को हँसकर के जी लो,
आओ उठकर भागो दौड़ो।
ग़म की बातें यार भुला दो,
बीत गया वो पीछे छोड़ो।
आओ सब मिल नाचे गायें।
ख़ुशियों की बारात सजाएँ।
आओ आशा दीप जलाएँ।
अंधकार का नाम मिटायें।
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