हिंदुस्तान के रहने वालो
काव्य साहित्य | कविता सुषमा दीक्षित शुक्ला15 Oct 2021 (अंक: 191, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
हिंदुस्तान के रहने वालो,
हिंदी से तुम प्यार करो।
ये पहचान है माँ भारत की,
हिंदी का सत्कार करो।
हिंदी के विद्वानों ने तो,
परचम जग में फहराए।
संस्कार के सारे पन्ने,
हिंदी से ही हैं पाए।
देवनागरी लिपि में अपनी,
छुपा हुआ अपनापन है।
अपनी प्यारी भाषा हिंदी,
भारत माँ का दरपन है।
हिंदुस्तानी होकर तुमने,
यदि इसका अपमान किया।
तो फिर समझो भारत वालों,
ख़ुद का ही नुक़्सान किया।
हिंदुस्तान के रहने वालो,
हिंदी से तुम प्यार करो।
यह पहचान है माँ भारत की,
हिंदी का सत्कार करो।
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