नव वर्ष
काव्य साहित्य | कविता सुषमा दीक्षित शुक्ला1 Jan 2022 (अंक: 196, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
दो हज़ार बाइस तुम आओ,
जग में नूतन ख़ुशियाँ लाकर।
परम पिता की सदा दुआ हो,
जग की सुंदर बग़िया पर।
दो ख़ुशियों की शुभ सौग़ातें,
सुख के सुंदर दीप जलाकर।
दो हज़ार बाइस तुम आओ,
जग में नूतन ख़ुशियाँ लाकर।
खिलते रहें गुलाब सदा ही,
साँसों की अगणित शाखों पर।
सुंदर अभिलाषाएँ पूरी हों,
नित नवल वर्ष की राहों पर।
दो हज़ार बाइस तुम आओ
जग में नूतन ख़ुशियाँ लाकर।
परमपिता की सदा दुआ हो
जग की सुंदर बग़िया पर।
आँधी बनकर ख़ुशबू बिखरे,
भारत माता के दामन पर।
सपनों की नैया तट पहुँचे,
नित नवल वर्ष के आँगन पर।
दो हज़ार बाइस तुम आओ,
जग में नूतन ख़ुशियाँ लाकर।
परमपिता की सदा दुआ हो,
उनकी सुंदर बग़िया पर।
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